...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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सहज-अनुभूति!
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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आज तडके, दूर गगन में, एक अरसे के बाद, फुरसत से, सूरज अपनी महबूबा, चाँद से मिला, और कुछ पलों तक दोनों एक दूसरे को निहारते रहे, जी...
बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
बहुत ही लाज़वाब
ReplyDeleteबहुत ही लाज़वाब।
वाह... वाह।
ऐसी रचना बहुत दिनों बाद पढ़ी है।
कुछ पंक्तियां आपकी नज़र 👉👉 ख़ाका
हर दिन एक नई सुबह होती जरूर है लेकिन सबके लिए एक सा नहीं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर