...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रलय जारी
चहुॅं ओर काली स्याह रात, मेघ गर्जना, झमाझम बरसात, जीने को मजबूर हैं इन्सान, पहाड़ों पर पहाड़ सी जिंदगी, फटते बादल, डरावना मंजर, कलयुग का यह ...

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नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
बहुत ही लाज़वाब
ReplyDeleteबहुत ही लाज़वाब।
वाह... वाह।
ऐसी रचना बहुत दिनों बाद पढ़ी है।
कुछ पंक्तियां आपकी नज़र 👉👉 ख़ाका
हर दिन एक नई सुबह होती जरूर है लेकिन सबके लिए एक सा नहीं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर