नैन-पलकों से उतरकर, गालों पे लुडकता नीर रोया,
वो जब जुदा हमसे हुए तो, यह ह्रदय तज धीर रोया।
मालूम होता तो पूछ लेते, यूं रूठकर जाने का सबब,
बेरुखी पर उस बेवफा की,दिल से टपकता पीर रोया।
तिमिर संग घनों की सेज पर,ओढ़ ली चादर चाँद ने,
चित पुलकितमय मनोहारी, मंद बहता समीर रोया।
देखकर खामोश थे सब, कुसुम , तिनके, पात, डाली,
खग वृक्ष मुंडेर, ढोर चौखट, चिखुर तोरण तीर रोया।
अनुराग बुनते ही हो क्यों, 'परचेत' अपने इर्द-गिर्द,
विप्रलंभ अन्त्य साँझ पर वो, देह लिपटा चीर रोया।
तुम ना जाने किस जहाँ मे खो गए ---
ReplyDeleteRIP
और गोदियाल जी , आप भी गायब ही रहे !
डा० साहब, थोड़ा विश्राम के मूड में :)
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन इंटरनेशनल अवॉर्ड जीतने वाली पहली बंगाली अभिनेत्री थीं सुचित्रा मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteश्रद्धांजलि..!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-01-2014) को "सत्य कहना-सत्य मानना" (चर्चा मंच-1496) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
श्रद्धांजलि..
ReplyDeleteसादर नमन-
ReplyDeleteगोदियाल जी बहुत ही मार्मिक श्रद्धांजलि दी है। सुचित्रा सेन को आपने एक तरह से आपने अमर कर दिया अपनी पंक्तियों से।
ReplyDeleteAabhar Vikesh ji aapke in sundar shabdon ke liye .
Deleteभाव पूर्ण श्रद्धांजलि
ReplyDeleteभावभीनी श्रद्धांजली॥
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि |सुचित्रा सेन का अभिनय हमें सदियों तक याद रहेगा |
ReplyDeleteविनम्र श्रधांजलि ... आंधी की तरह निचान छोड़ गयीं वो हमेशा के लिए ...
ReplyDeleteगोदियाल भाई जी ...नमस्कार |
ReplyDeleteदेवदास भुलाये न भूले ...
विनम्र श्रधांजलि......
विनम्र श्रधांजलि
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