'रेल' और 'रेली', दोनों पति-पत्नी रेलवे मे नौकरी करते थे। स्वछंद घूमना और मौज मस्ती ही उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा थी। अचानक एक दिन पढोसी मुल्क से एक चीनी वायरस आया और आते ही उसने देशभर मे अफरातफरी का माहौल खडा कर दिया। सरकार ने भी आव देखा न ताव, पूरा देश ही बंद कर डाला, वो भी तीन हफ्ते के लिए।
रेल और रेली ने सपने मे भी न सोचा होगा कि कभी ऐसा वक्त भी आ सकता है। उनके पास घर भी नहीं था। प्लेटफार्म पर ही आराम फरमाने वाले जो ठहरे। अब जाएंं तो जांए कहांं? मजबूरन महानगर के एक गंदे नाले के किनारे छप्पर डालने की जगह मिली क्योंकि प्लेटफार्म तो उनसे भी होशियार बंधुओं ने पहले ही हथिया लिया था।
सारे होटल बंद, कुछ किराना दुकाने खुली भी थींं तो खुद के पास न पकाने का साधन और न बनाने का तजुर्बा। अब, भूखे-प्यासे ही दिन गुजारकर लाँँकडाउन खत्म होने का इंतजार, कब खत्म होगा, इसी अधेड़बुन मे रेल की बगल मे बैठी भूखी-प्यासी रेली को अभी हल्की सी झपकी आई ही थी कि कालेज के दिनों की पापा की वो दुलारभरी आवाज उसके कानों मे गू़ंज उठी, "रेली बेटा, आजकल तुम्हारी विन्टर वैकेशन हैं, थोडा-बहुत मां के साथ किचन मे हाथ बंटा लिया करो, बेटा। किचन का काम कुछ सीखा रहेगा तो भविष्य मे पता नहीं कब काम आ जाए।"
रेल की पीठ से सिर के पिछले हिस्से को टिकाते हुए भरी आंखों और डबडबाई आवाज मे रेली बडबडाई, "वो पापा, सोने दो ना....प्लीज"।
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सबक: अगर शादी की सोच रहे हो तो पहले एक अदद घर का इ़तजाम कर लेना चाहिए।😀 कौन जाने, क्या पता कब कुत्ते-बिल्ली, चमगादड़ खाने वाले जीव कौनसा वायरस उपजाकर दूसरों के यहां भेज दें? साथ ही यह भी पक्का
मानकर चलेंं कि मां-बाप बेवजह सलाह नहीं देते।
सुन्दर कथा।
ReplyDeleteमाँ जगदम्बा की कृपा आप पर बनी रहे।।
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घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
कोरोना से बचें