बात लगभग एक साल पुरानी है, ग्रिष्मावकास के बाद फिर से स्कूल खुल गए थे। चिल्ड्रन बसे सुबह-सबेरे फिर से सडको पर दौड़ने लगी थी। रुपाली की स्कूल की मिनी बस जो सिर्फ़ छोटे बच्चो को लाने ले जाने के लिए थी, धीरे-धीरे बच्चो से भरने लगी थी। नन्ही रुपाली बस के पायदान के ठीक सामने, आगे वाली सीट पर बैठी थी। वह अपने नन्हे दिमाग में तरह-तरह के खयालो को ला रही थी। साथ ही बार-बार ड्राईवर की सीट की ओर भी देखे जा रही थी। आज ड्राइविंग सीट पर जो अंकल बैठे थे, वह भी नरेश अंकल की ही तरह की कद काठी और उम्र के थे। ग्रिष्मावकास के पहले की तरह कोई भी बच्चा आज बोनट के ऊपर नही बैठा था और न ही कोई गाना गा रहा था, सारे बच्चे खामोश अंदाज़ में सहमे से बैठे थे। एक-दो बच्चे, जिन्होंने पहली बार स्कूल का रुख किया था, सीट पर बैठे- बैठे रो भी रहे थे।
सुबह-सबेरे चूँकि सडको पर यातायात बहुत ज्यादा नही होता अतः चिल्ड्रेन बस अपने गंतव्य की ओर सरपट भागे जा रही थी। रुपाली ने अपना सिर खिड़की के शीशे से टिकाया और ध्यान मग्न हो गई। दो माह पूर्व गर्मियों की छुट्टिया शुरु होने के ठीक एक दिन पहले की वह दर्दनाक घटना उसके जेहन में बहुद अन्दर तक घर कर गई थी, जिसमे बच्चो का प्यारा नरेश अंकल (बस ड्राईवर) सभी बच्चो को हतप्रभ सा छोड़ कहीं बहुत दूर चला गया था।
नरेश २८ साल का एक सीधा-साधा मगर खुश-मिजाज युवक था जो ग्रेजुयेशन करने के बाद कुछ सालो तक पहाडो में ही इधर-उधर की ठोकरे खाने के उपरांत, आँखों में कुछ सपने सजोये राजधानी की ओर चल पड़ा था। मगर यहाँ भी उसको कुछ ख़ास नसीब न हो सका, शायद तकदीर में ठोकरे ही ज्यादा लिखी थी। अतः मजबूरन उसने एक पब्लिक स्कूल के बस ड्राईवर की नौकरी पकड़ ली थी। स्कूल ड्राईवर की नौकरी पकड़ने का एक कारण उसके लिए यह भी था कि उसे बच्चो से बेहद लगाव था। जिस दिन से वह इस चिल्ड्रेन बस पर ड्राईवर बन के आया था, बच्चे भी बेहद खुश होकर स्कूल जाते थे। परिणाम स्वरुप बच्चो के अभिभावकों ने भी स्कूल प्रशासन से कई बार नरेश की जम कर तारीफ़ की थी। बस में सवार होने के बाद बच्चा घर की याद भूल जाया करता था क्योंकि नरेश का बच्चो को बहलाने का अंदाज़ ही निराला था। बच्चे पिछली सीटो को छोड़-छोड़ कर आगे की चार सीटो और बोनट के ऊपर में ही पसर जाते थे। नरेश ड्राइव करते-करते या तो बच्चो को कहानिया सुनाता या जब कुछ नही सूझता तो बच्चो को ऊँचे स्वर में गाना गाने को कहता। बच्चे भी खुस होकर बड़ी मस्ती में गाना गाते ओर स्कूल से घर तक, और घर से स्कूल तक का सफर कब कट जाता, पता ही नही चलता था।
रुपाली याद कर रही थी कि उस दिन भी नरेश अंकल ने गाने की पहली दो लाइन गाकर उन्हें गाने को कहा था और बच्चे हाथो से तालिया बजाकर गाना गाये जा रहे थे कि तभी अचानक नरेश अंकल ने जोर के ब्रेक लगाये ओर बच्चे सीटो पर इधर उधर लुड़क गए। भगवान् का शुक्र था कि किसी बच्चे को चोट नही आई थी। फिर रुपाली और साथ के अन्य बच्चो ने जो देखा वह भयावह मंजर उनके नन्हे दिमाग पर एक अमिट छाप छोड़ गया था। दो युवक नरेश अंकल का गिरेवान पकड़ उसको ड्राइविंग सीट से नीचे सड़क पर खीचने की कोशिश कर रहे थे, बस की हलकी सी टक्कर से उनकी बाईक का पीछे की लाईट का शीशा टूट गया था। नरेश अंकल अपना बचाव करते हुए बार-बार तर्क दे रहे थे कि "भाईसाब, गलती मेरी नही आपकी है आपने ही ने तो अचानक से अपनी बाईक दूसरी लेन से हटा कर गाड़ी के ठीक आगे लगायी.......अब तुंरत ब्रेक नही लगे तो मैं क्या करू, तेज ब्रेक लगाने में बस के अन्दर बैठे बच्चो पर भी चोट लग सकती थी .... "
जवानी के नशे में चूर गुस्साए युवको पर नरेश की बात का कोई असर नही पड़ा, वे बस उसे बाहर खीचते रहे। इसी रस्सा-कस्सी में नरेश अचानक संतुलन खो बैठा और नीचे सड़क पर जा गिरा। बस फिर क्या था दोनों युवको ने अपने- अपने हेलमेट नरेश के सिर पर तोड़ डाले। कुछ और राहगीर भी वहाँ इकठ्ठा हो तमाशा देखने लगे। बच्चे गाडी के अन्दर से चिल्ला रहे थे " अरे हमारे अंकल को मत मारो, कोई हमारे अंकल को बचावो " लेकिन किसी के भी कानो में जू तक नही रेंगी ! नरेश बेहोश होकर सड़क पर पड़ा था, उसके नाक और मुह से खून बह रहा था। दोनों युवक अपनी बाईक उठा, वहा से चंपत हो गए थे। कुछ देर बाद वहाँ पुलिस की जिप्सी आई थी और नरेश को अस्पताल ले गई, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ? ......... मम्मी बता रही थी कि नरेश अंकल भगवान् के पास चले गए है, इसीलिए तो आज दूसरे अंकल ड्राइव कर रहे हैं।
गाडी स्कूल के गेट पर पहुंची और ड्राईवर ने बच्चो को उतरने को कहा तो नन्ही रुपाली आखें मूँद भगवान् से प्रार्थना कर रही थी; भगवानजी, आप उन दोनों बदमाशो को मत छोड़ना, जिन्होंने हमारे नरेश अंकल को मारा, उनको पनिस जरूर करना !
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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You have chosen sacred silence, no one will miss you, no one will hear your cries. No one will come to put roses on your grave wit...
ऐसी दर्दनाक घटना है कि बच्चों के मन को हमेशा विचलित करती रहेगी.
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