Wednesday, March 25, 2009

हाँ, इनकी जय हो !

इन्होने ऊँच-नीच के अहसास को,
पिछले बासठ सालो से,
हर हिन्दुस्तानी के दिल में
आरक्षण से जगाये रखा,
इसलिए इनकी जय हो !

इन्होने जाति-धर्म, क्षेत्र के हास को
पिछले बासठ सालो से,
छद्म-निरपेक्षता के अंगारों पर,
समाज में सुलगाये रखा,
इसलिए इनकी जय हो !

इन्होने गरीबी के उपहास को
पिछले बासठ सालो से,
अमीरो की जुबान में ,
तरतीब से सजाये रखा,
इसलिए इनकी जय हो !

इन्होने गुलामी के दास को
पिछले बासठ सालो से,
हर छोटे-बड़े नेता के घर में
दामाद बनाके बिठाये रखा,
इसलिए इनकी जय हो !

इन्होने अपने  भोग-विलास को
पिछले बासठ सालो से,
चंदे और दलाली की विसात पर
बार और कोठो में पनपाये रखा,
इसलिए इनकी जय हो !

2 comments:

  1. Well said, Inki Jai to ho lekin khuda kare Vijay na ho .

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  2. फिर तो इनकी दो बार जय हो !

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संशय!

इतना तो न बहक पप्पू ,  बहरे ख़फ़ीफ़ की बहर बनकर, ४ जून कहीं बरपा न दें तुझपे,  नादानियां तेरी, कहर  बनकर।