Wednesday, January 22, 2020

दिल

वो अपने मुंह मिंया मिठ्ठू , 
डींग हांकते फिरते थे कि
मुसलमानों के मुर्दे जला नहीं करते,
कल तुम जब शमशान के करीब से
मटक-मटक कर गुजर रही थी,
कई दफनमुरादोंं को जलते हुए
मैंने खुद अपनी आ़ंखो से देखा।🤣🤣🤣
                 

Thursday, January 16, 2020


'अˈबिचुअरि बुक' (obituary book) मे
सबसे अच्छी टिप्पणी मुझे, 
अपने पडोसी की लगी।
लिखा था:
"ठिठुरती रातों मे भी 
यह कमबख्त, 
इसकी रसोई और इमामदस्ता, 
रोजाना
दो और तीन बजे के मध्य, 
हमारी नींद मे,
अदरक कूठने की आवाज से
खलल डाला करता था।।"

Wednesday, January 15, 2020

पीर पराई ।


दर्द उनका, सिर्फ वहीं जान पायेंगे
जिन्हें, तमाम रात नींद नहीं आती,
खामोश निशा, आंखों ही आंखों मे
घिसट-घिसट कर कैंसे गुजर जाती।
ऐ गुलजार, ये तुम्हें है मालूम कि मुझे,
सुबह होने मे कितने जमाने लगते हैं।।

Saturday, January 11, 2020

जागो सोने वालों, जागो !

तीन-तीन गुलामियों का यही तो सबसे बडा राज है जो देशभर की सडकों पर दिखाई दे रहा आज है। राष्ट्रहित मे खुद को, मिटा दिया था कुछ फौलदों ने, मगर, गुड-गोबर एक कर दिया, जयचंद की औलादों ने।। इसलिए, जागो सोने वालों, जागो!

Tuesday, January 7, 2020

जागो सोने वालों, वक्त रहते जागो।

मितरों,
आज जो कुछ हमारे इस देश मे हो रहा है, उसे देखकर सिर्फ हैरानी और अफसोस होता है। भगवान को साक्ष्य मानकर आपको आज की एक सच्ची घटना, जो मेरे साथ हुई और जिसे मैंने हर कोण से नापना चाहा, आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।

मैं जानता हूँ कि इस बात को हमारे ही बीच के बहुत से ज्ञानी लोग, खासकर तथाकथित लिबरल हिंदू, सामप्रदायिक रंग मे रंगना चाहेंगे। मगर, उनसे सिर्फ़ यही कहूंगा कि:
आगे जो वक्त आ रहा है,
कोई पोंंछने न आएगा पास तुम्हारे
और आखें तुम्हारी भरी की भरी रहेंंगी,
जो सहिष्णुता आज उन संग तुम
दिखाने की फिराक मे हो,
तुम्हारी बारी वो सारी धरी की धरी रहेंगी।
और यह बात मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ। खासकर, यह वीडियो मैं इसलिए चस्पा कर रहा हूँ क्योंकि इस देश मे आज जो हो रहा है, उससे वीडियो की परिस्थितियां हू-ब-हू मिलती हैं। आगे वाले ने सफेद लाइन के ऊपर जम्प मारा, पीछे वाले सभी सफेद लाइन पर जम्प मार रहे हैं😆😆

देश में भी यही हो रहा हैं। कई लोगो को मालूम  ही नही की किसका विरोध कर रहे हैं। वे बस, इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योकि दूसरे जो कर रहे हैं । मत भूलो कि जब उन्हें अवसर मिला, वे देश का एक तिहाई हिस्सा तुम/हम से छीनकर ले गये और हम जम्पिंग करते रह गए।

अब आज का सच्चा किस्सा:-
कल कुछ खाना बच गया था, रात को सोचा कि डस्टबिन मे डालने की बजाय बेहतर होगा कि सुबह आफिस जाते वक्त किसी जानवर को खिला दूंगा। सो उसे पन्नी मे लपेटकर रख दिया। सुबह घर से थोड़ी दूर रास्ते मे कूड़े के ढेर के पास एक गाय अपने दुधमुंहे ठंड से ठिठुरते बच्चे के साथ खडी थी। मैंने, उसे उस अन्न का उचित हकदार समझा और उसके समीप जाकर पन्नी से उलटकर सब उसके सामने डाल दिया। यह करने के बाद मैं मुडकर अभी चार कदम ही चला था कि कूड़े के ढेर से गुर्राते हुए एक मोटा सा सूंअर आया और झपटकर वो सब खा गया जो मैंने गाय और उसके बछड़े को डाला था। गाय चुपचाप सूंअर से अपने बछड़े को ही सम्भालते हुए पीछे हट गई। और मैं कातर निंगाहों से न सिर्फ वह सबकुछ निहारते रह गया बल्कि वह घटना मुझे दिनभर बिचलित भी करती रह गई। एक ही बडा सवाल दिमाग मे कौंधे जा रहा था कि क्या यही सब कुछ आगे हमारे साथ भी होने जा रहा है?

इसलिए,जागो सोने वालों, वक्त रहते जागो, कहीं बहुत देर न हो जाए।



Wednesday, January 1, 2020

ये मेरा शहर !


नाइंसाफी की भी हद है
इस शहर मे,
कोई फर्क नहीं, सुबह, शाम
और दोपहर मे।
नूतन वर्ष के बहाने,
कोई डूबा है जशन मे,
नववर्ष की पूर्व संध्या पर
पार्टी मे, उसने सबको बुलाया,
मुझे नहीं, कोई जी रहा है
इसी टशन मे।
जो दरिद्रता से नंगा है,
कोशिश कर रहा तन ढकने की
और जो समृद्ध है,
नंगा ही नजर आ रहा, वसन मे।।

2020

आपको और आपके परिवार को नववर्ष की शुभकामनाये💐💐
2020 आप सभी के जीवन मेँ खुशहाली लेकर आये और आप सभी स्वस्थ रहे खुश रहे!
HAPPY NEW YEAR 2020 !💐

सहज-अनुभूति!

निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना,  कि...