Wednesday, January 22, 2020

दिल

वो अपने मुंह मिंया मिठ्ठू , 
डींग हांकते फिरते थे कि
मुसलमानों के मुर्दे जला नहीं करते,
कल तुम जब शमशान के करीब से
मटक-मटक कर गुजर रही थी,
कई दफनमुरादोंं को जलते हुए
मैंने खुद अपनी आ़ंखो से देखा।🤣🤣🤣
                 

6 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23.01.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3589 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी ।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23.01.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3589 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी ।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

    ReplyDelete
  3. If you looking for Publish a book in Indiacontact us today for more information

    ReplyDelete
  4. वाह
    बहुत खूब

    ReplyDelete
  5. वाह रे खूबसूरती।
    😜
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र 

    ReplyDelete

इतना क्यों भला????

बडी शिद्दत से उछाला था हमने  दिल अपना उनके घर की तरफ, लगा,जाहिर कर देंगे वो अपनी मर्जी, तड़पकर उछले हुए दिल पर हमारे। रात भर ताकते रहे यही स...