मितरों,
आज जो कुछ हमारे इस देश मे हो रहा है, उसे देखकर सिर्फ हैरानी और अफसोस होता है। भगवान को साक्ष्य मानकर आपको आज की एक सच्ची घटना, जो मेरे साथ हुई और जिसे मैंने हर कोण से नापना चाहा, आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मैं जानता हूँ कि इस बात को हमारे ही बीच के बहुत से ज्ञानी लोग, खासकर तथाकथित लिबरल हिंदू, सामप्रदायिक रंग मे रंगना चाहेंगे। मगर, उनसे सिर्फ़ यही कहूंगा कि:
आगे जो वक्त आ रहा है,
कोई पोंंछने न आएगा पास तुम्हारे
और आखें तुम्हारी भरी की भरी रहेंंगी,
जो सहिष्णुता आज उन संग तुम
दिखाने की फिराक मे हो,
तुम्हारी बारी वो सारी धरी की धरी रहेंगी।
और यह बात मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ। खासकर, यह वीडियो मैं इसलिए चस्पा कर रहा हूँ क्योंकि इस देश मे आज जो हो रहा है, उससे वीडियो की परिस्थितियां हू-ब-हू मिलती हैं। आगे वाले ने सफेद लाइन के ऊपर जम्प मारा, पीछे वाले सभी सफेद लाइन पर जम्प मार रहे हैं😆😆
देश में भी यही हो रहा हैं। कई लोगो को मालूम ही नही की किसका विरोध कर रहे हैं। वे बस, इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योकि दूसरे जो कर रहे हैं । मत भूलो कि जब उन्हें अवसर मिला, वे देश का एक तिहाई हिस्सा तुम/हम से छीनकर ले गये और हम जम्पिंग करते रह गए।
अब आज का सच्चा किस्सा:-
कल कुछ खाना बच गया था, रात को सोचा कि डस्टबिन मे डालने की बजाय बेहतर होगा कि सुबह आफिस जाते वक्त किसी जानवर को खिला दूंगा। सो उसे पन्नी मे लपेटकर रख दिया। सुबह घर से थोड़ी दूर रास्ते मे कूड़े के ढेर के पास एक गाय अपने दुधमुंहे ठंड से ठिठुरते बच्चे के साथ खडी थी। मैंने, उसे उस अन्न का उचित हकदार समझा और उसके समीप जाकर पन्नी से उलटकर सब उसके सामने डाल दिया। यह करने के बाद मैं मुडकर अभी चार कदम ही चला था कि कूड़े के ढेर से गुर्राते हुए एक मोटा सा सूंअर आया और झपटकर वो सब खा गया जो मैंने गाय और उसके बछड़े को डाला था। गाय चुपचाप सूंअर से अपने बछड़े को ही सम्भालते हुए पीछे हट गई। और मैं कातर निंगाहों से न सिर्फ वह सबकुछ निहारते रह गया बल्कि वह घटना मुझे दिनभर बिचलित भी करती रह गई। एक ही बडा सवाल दिमाग मे कौंधे जा रहा था कि क्या यही सब कुछ आगे हमारे साथ भी होने जा रहा है?
इसलिए,जागो सोने वालों, वक्त रहते जागो, कहीं बहुत देर न हो जाए।
आज जो कुछ हमारे इस देश मे हो रहा है, उसे देखकर सिर्फ हैरानी और अफसोस होता है। भगवान को साक्ष्य मानकर आपको आज की एक सच्ची घटना, जो मेरे साथ हुई और जिसे मैंने हर कोण से नापना चाहा, आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मैं जानता हूँ कि इस बात को हमारे ही बीच के बहुत से ज्ञानी लोग, खासकर तथाकथित लिबरल हिंदू, सामप्रदायिक रंग मे रंगना चाहेंगे। मगर, उनसे सिर्फ़ यही कहूंगा कि:
आगे जो वक्त आ रहा है,
कोई पोंंछने न आएगा पास तुम्हारे
और आखें तुम्हारी भरी की भरी रहेंंगी,
जो सहिष्णुता आज उन संग तुम
दिखाने की फिराक मे हो,
तुम्हारी बारी वो सारी धरी की धरी रहेंगी।
और यह बात मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ। खासकर, यह वीडियो मैं इसलिए चस्पा कर रहा हूँ क्योंकि इस देश मे आज जो हो रहा है, उससे वीडियो की परिस्थितियां हू-ब-हू मिलती हैं। आगे वाले ने सफेद लाइन के ऊपर जम्प मारा, पीछे वाले सभी सफेद लाइन पर जम्प मार रहे हैं😆😆
देश में भी यही हो रहा हैं। कई लोगो को मालूम ही नही की किसका विरोध कर रहे हैं। वे बस, इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योकि दूसरे जो कर रहे हैं । मत भूलो कि जब उन्हें अवसर मिला, वे देश का एक तिहाई हिस्सा तुम/हम से छीनकर ले गये और हम जम्पिंग करते रह गए।
अब आज का सच्चा किस्सा:-
कल कुछ खाना बच गया था, रात को सोचा कि डस्टबिन मे डालने की बजाय बेहतर होगा कि सुबह आफिस जाते वक्त किसी जानवर को खिला दूंगा। सो उसे पन्नी मे लपेटकर रख दिया। सुबह घर से थोड़ी दूर रास्ते मे कूड़े के ढेर के पास एक गाय अपने दुधमुंहे ठंड से ठिठुरते बच्चे के साथ खडी थी। मैंने, उसे उस अन्न का उचित हकदार समझा और उसके समीप जाकर पन्नी से उलटकर सब उसके सामने डाल दिया। यह करने के बाद मैं मुडकर अभी चार कदम ही चला था कि कूड़े के ढेर से गुर्राते हुए एक मोटा सा सूंअर आया और झपटकर वो सब खा गया जो मैंने गाय और उसके बछड़े को डाला था। गाय चुपचाप सूंअर से अपने बछड़े को ही सम्भालते हुए पीछे हट गई। और मैं कातर निंगाहों से न सिर्फ वह सबकुछ निहारते रह गया बल्कि वह घटना मुझे दिनभर बिचलित भी करती रह गई। एक ही बडा सवाल दिमाग मे कौंधे जा रहा था कि क्या यही सब कुछ आगे हमारे साथ भी होने जा रहा है?
इसलिए,जागो सोने वालों, वक्त रहते जागो, कहीं बहुत देर न हो जाए।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 9.1.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3575 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी ।
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
धन्यवाद।
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