Thursday, January 16, 2020


'अˈबिचुअरि बुक' (obituary book) मे
सबसे अच्छी टिप्पणी मुझे, 
अपने पडोसी की लगी।
लिखा था:
"ठिठुरती रातों मे भी 
यह कमबख्त, 
इसकी रसोई और इमामदस्ता, 
रोजाना
दो और तीन बजे के मध्य, 
हमारी नींद मे,
अदरक कूठने की आवाज से
खलल डाला करता था।।"

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।