Sunday, February 2, 2020

कुछ अंश मेरी काव्यपुस्तक "तहकी़कात जारी रहेगी" से.....

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व्यथा

  तुझको नम न मिला और तू खिली नहीं, ऐ जिन्दगी ! मुझसे रूबरू होकर भी तू मिली नहीं।