Tuesday, February 4, 2020

कुछ अंश मेरी काव्यपुस्तक "तहकी़कात जारी रहेगी" से... 3

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वक्त की परछाइयां !

उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...