...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Friday, February 14, 2020
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
पगडंडीयां यवो कच्चा रास्ता गाँव का पढ़ते वक्त बहुत याद आया.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना है.
सुबह सुबह गाँव याद आ गया.
आपकी रचना स्पष्ट पढने में नही आ रही है
अक्सर सुस्पष्ट दिखे तो ज्यादा लोग पढ़ सकते हैं. कृपया संज्ञान लेवें.
आभार.
आइयेगा- प्रार्थना
शुक्रिया, रोहिताश जी।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१६ -0२-२०२०) को 'तुम्हारे मेंहदी रचे हाथों में '(चर्चा अंक-१३३६) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
धन्यवाद, अनिता जी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआभार, ओंकार जी।
Deleteबहुत सुंदर सृजन
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