...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
चोट गहरी है।
ReplyDeleteरीता रहा मन ! जीवन बीता इस तरह !
ReplyDeleteजिस तरह शिद्ध हिंदी और उर्दू हर्फ़ के लाजवाब अंदाज पर आपने ये ग़ज़ल तामीर करी है। .......... ये यकीन है हमको की आप जैसे कलमदान ही इस मुल्क के हिन्दू-मुस्लिम एकता के असल नुमाइंदे है।
ReplyDeleteसलाम आपको।