...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Saturday, June 20, 2015
Friday, June 19, 2015
छणिकाएँ
एहसास :
'अच्छे दिन"
अभी दूर की कौड़ी है,
इस जोड़े का दुस्साहस देखकर
इतना तो एहसास मिल ही गया।
रमादान:
इबादत के इस दौर में, मांगता हूँ मैं भी ये दुआ खुदा से कि
ऐ खुदा, कुछ अंधभक्तों को भी अपने, थोड़ी सी अक़्ल देना।
क्रेडिट कार्ड:
बनकर आया है जबसे
अपनी श्रीमती जी का क्रेडिट कार्ड,
घर ई-कॉमर्स कंपनियों के
दफ़्ती,डिब्बों के ढ़ेर में तब्दील हो गया है।
अच्छे दिनों के इंतज़ार में :
जरुरत से ज्यादा 'लीद' निकाली है जबसे कम्बख्त मैगी ने,
बुरे दिन लौट आये है स्वास्थ्य विघातक अर्वाचीन बीवियाँ के।
योग जूनून:
कुछ इसतरह फंस गई जिंदगी
अलोम -विलोम के चक्कर में
कि अब तो बीवी के हाथों की
सुबह की चाय भी नसीब नहीं होती।
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वक्त की परछाइयां !
उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...

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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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कल मेरे ब्लॉग पर एक टिप्पणीकार ने निम्नलिखित टिपण्णी दी , तो सोचा क्यों न उनकी ख्वाइश के मुताविक आज मैं भी एक अच्छी पोस्ट लिख डालूँ ; Kumar ...
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पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।