पता नहीं,कब-कहां गुम हो गया
जिंदगी का फ़लसफ़ा,
न तो हम बावफ़ा ही बन पाए
और ना ही बेवफ़ा।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
पता नहीं,कब-कहां गुम हो गया
जिंदगी का फ़लसफ़ा,
न तो हम बावफ़ा ही बन पाए
और ना ही बेवफ़ा।
लगे है दिल्ली दानव सी, उन्हें जन्नत लगे कराची है, तवायफ बनकर लेखनी जिनकी, भरे दरवारों में नाची है। हैं साहित्य मनीषी या फिर वो अपने हित के ...