पता नहीं,कब-कहां गुम हो गया
जिंदगी का फ़लसफ़ा,
न तो हम बावफ़ा ही बन पाए
और ना ही बेवफ़ा।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
पता नहीं,कब-कहां गुम हो गया
जिंदगी का फ़लसफ़ा,
न तो हम बावफ़ा ही बन पाए
और ना ही बेवफ़ा।
चहुॅं ओर काली स्याह रात, मेघ गर्जना, झमाझम बरसात, जीने को मजबूर हैं इन्सान, पहाड़ों पर पहाड़ सी जिंदगी, फटते बादल, डरावना मंजर, कलयुग का यह ...