पता नहीं,कब-कहां गुम हो गया
जिंदगी का फ़लसफ़ा,
न तो हम बावफ़ा ही बन पाए
और ना ही बेवफ़ा।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
पता नहीं,कब-कहां गुम हो गया
जिंदगी का फ़लसफ़ा,
न तो हम बावफ़ा ही बन पाए
और ना ही बेवफ़ा।
हमेशा झूमते रहो सुबह से शाम तक, बोतल के नीचे के आखिरी जाम तक, खाली हो जाए तो भी जीभ टक-टका, तब तलक जीभाएं, हलक आराम तक। झूमती जिंदगी, तुम क्...