...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
इस कार्टून प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
waah !
ReplyDelete.... पर अंकल मिलेंगे कहां??
ReplyDeleteहा-हा-हा-हा चंद्रमौलेश्वर जी , आपकी मंशा भी कुछ नेक लग रही है :)
ReplyDeleteदुःख हुआ कल टी वी पर देखकर । एक व्यक्ति को अर्थव्यवस्था के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता ।
ReplyDeleteडा० साहब, क्या कहना चाह रहे है आप ? कि सबको थप्पड़ मारो :)
ReplyDeleteगोदियाल जी , गुनहगार तो भरे पड़े हैं । लेकिन क्या एक विक्षिप्त मनुष्य के थप्पड़ से कुछ हासिल होने वाला है ?
ReplyDeleteबहुत खूब सूरत है जिसने भी छठा मारा किसी ब्याक्तिगत शत्रुता के नाते नहीं मारा यह सब देश हित में है.
ReplyDeleteGood one ....
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आइये और अपने अनमोल संदेशों के द्वारा हमारा उत्साह बढाइये/आप हिंदी की सेवा इसी तरह अपने मेहनत और लगन से लिखी गई रचनाओं द्वारा करते रहें यही कामना है /आभार /लिंक नीचे दिया गया है /
ReplyDeletehttp://hbfint.blogspot.com/2011/11/19-happy-islamic-new-year.html