Saturday, November 5, 2011

पैसे पेड़ पर नहीं उगते !


खबर : "पेट्रोल की कीमतों में इजाफे से परेशान आम आदमी को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राहत देने की बजाय और अधिक जख्म दे दिया है। फ्रांस में मीडिया से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पेट्रोल की कीमतों में कमी नहीं होगी। हमें समझना होगा कि पैसा पेड़ पर नहीं उगता। हम अपने संसाधनों से परे नहीं जा सकते। हमें कीमतों पर नियंत्रण हटाने की तरफ आगे बढऩा है। मुझे कहते हुए कोई झिझक नहीं है कि इस मामले (कीमतों के संदर्भ में) पर बाजार खुद फैसला करेगा।"




प्रतिक्रियास्वरूप मैं बस इतना ही कहूंगा कि यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य है, इन माननीय का ! काश कि ये अर्थशास्त्री महोदय अपने इस उपदेश का ख़याल उस वक्त भी रखते, जब इनके अधीनस्थों द्वारा चारों दिशाओं में दोनों हाथों से इस देश का खजाना लूटा जा रहा था !  आज तक इन्होने जो झूठे आश्वाशनो से देशवासियों को बरगलाया कि फलां-फलां वक्त के अन्दर महंगाई ख़त्म हो जायेगी, उसका क्या ?

खैर, कुछ लोग होते है जो न तो हद-ए-मुश्किल से गुजर पाते है, और न ही कश्ती से उतर पाते है !


करनी भ्रष्ट की क्यों जन-जन भुगते,
काश, अगर दरख़्त पर पैसे उगते !
पूछता ही क्यों फिर श्वान भी कोई,
नेक क्यों फिर शठ समक्ष झुकते !
काश, अगर दरख़्त पर पैसे उगते !!
मेहनतकश ढेरों वृक्ष भी उगा लेता,
मगर क्या करता भ्रष्ट-निठल्ला  नेता,
मुफ़लिस-दरिद्र न दाना-दाना चुगते !
काश, अगर दरख़्त पर पैसे उगते !!



छवि गूगल से साभार !

18 comments:

  1. सुन्दर सारगर्भित कविता...बधाई

    नीरज

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  2. बिल्कुल सही कह रहे है आप्।

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  3. करनी भ्रष्ट की क्यों जन-जन भुगते,
    काश, अगर दरख़्त पर पैसे उगते !

    सटीक !!

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  4. काश .. होता ऐसा ... समसामयिक अच्छी प्रस्तुति

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  5. सरकार के पास तो पैसे का पेड़ नहीं लगा पर इन माननीय प्रधान मंत्री जी को लगता है कि जनता के घर पैसे का पेड़ लगा है जो उनकी बढाई मंहगाई के बाद भी पेट्रोल खरीदती रहेगी |

    Gyan Darpan

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  6. अब तो घर में बैठकर धूनी रमायी जायेगी।

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  7. मेरे घर पर भी पैसों का पेड़ नहीं है :(

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  8. पैसों के पेड केवल नेताओं के घर में ही उगा करते है क्योंकि निर्लज्जता की खाद केवल वहीं उपलब्ध होती है॥

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  9. बहुत सुन्दर दर्शाया आप ने मेहनत कश सच में जी लेते ...लेकिन काश ये काश ......
    भ्रमर ५

    मेहनतकश ढेरों वृक्ष भी उगा लेता,
    मगर क्या करता भ्रष्ट-निठल्ला नेता,
    मुफ़लिस-दरिद्र न दाना-दाना चुगते !
    काश, अगर दरख़्त पर पैसे उगते !!

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  10. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।">चर्चा

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  11. यह सूचना टिप्पणी बटोरने हेतु नही है बस यह जरूरी लगा की आपको ज्ञात हो आपकी किसी पोस्ट का जिक्र यहाँ किया गया है कृपया अवश्य पढ़े आज की ताज़ा रंगों से सजीनई पुरानी हलचल

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  12. क्या बात कही है जनाब ......यथार्थ समीचीन सन्दर्भ..... सुक्रिया जी /

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  13. काश, अगर दरख़्त पर पैसे उगते !

    Bahut khub vichar hain,,,Umda vyang..

    www.poeticprakash.com

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  14. बहुत सुंदर विचार और प्रस्तुति.

    बधाई.

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  15. राजनीतिक विडंबना.

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  16. बिलकुल सही कहा माननीय ने... पैसे पेड़ पर थोड़े उगते हैं वो तो इनके आकाओं ने स्विस और अन्य देश के बैंकों में जमा कर रखे हैं....

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।