...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
बिन बदरा पानी गिरे, बदरा पानी सून,
ReplyDeleteजब तोरी आँखें नमें, बीता जाये जून।
मानसून माने नहीं, कभी चीन तूफ़ान ।
ReplyDeleteउच्च-दाब का क्षेत्र भी, कर देता हैरान ।
कर देता हैरान , नेह बरसाऊँ कैसे ।
लेती मन में ठान, किन्तु मैं आऊँ कैसे ।
बिन जंगल उद्यान, नहीं मेरा मन लागे ।
खड़े पास शैतान, नहीं तो आऊँ आगे ।
हाय हाय ये मजबूरी ---
ReplyDeleteसूखा सावन -- जैसे ड्राई डेज ! :)
भाई जी,
ReplyDeleteकवि गोष्ठी मुबारक हो :-))
शुक्र है ओले/पाला नहीं पड़ता..
ReplyDelete:-)
सादर
अनु
:):) मौसम विभाग पर बढ़िया कटाक्ष ...
ReplyDeleteमेरे प्रति तुम्हारा प्यार,
ReplyDeleteभारत के मौसम विभाग से
ख़ास भिन्न नहीं !
Kyaa baat hai ;)
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
मुखर अभिव्यक्ति .... प्रशंसनीय है ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर !!
ReplyDeleteअमेरिका के मौसम विभाग
का साफ्टवेयर डलवा लीजिये
जब जैसा मौसम चाहे
उनके मूड में डलवा लीजिये !!
bahut badhiya ........
ReplyDeleteतुम...हारे.....! ...... तुम... हारी........ !!
ReplyDeleteऔर मैं हूँ कि
न उन्हें झूठा करार पाता हूँ
और न सच मानने को तैयार,
क्योंकि मैं जानता हूँ कि
मेरे प्रति तुम्हारा प्यार,
भारत के मौसम विभाग से
ख़ास भिन्न नहीं !... बहुत ही बढ़िया
जब बरसने की उम्मीद जताता है,
ReplyDeleteतब पड़ती है सूखे की मार !!
और जब करता है,
शुष्क मौसम की भविष्यवाणी ,
तब कम्वख्त मुसलाधार !!!
सुंदर प्रस्तुति !!
उनका प्यार भी मौसम विभाग का शिकार हो गया ... भई बहुत खूब ...
ReplyDeleteतुम...हारे.....! ...... तुम... हारी........ !!
ReplyDeleteऔर मैं हूँ कि
न उन्हें झूठा करार पाता हूँ
और न सच मानने को तैयार,
वाह ... बेहतरीन भाव