Saturday, July 21, 2012

अनिश्चितता के बादल !



देश के मौसम विभाग की
भविष्यवाणी से
ख़ास भिन्न नहीं है
मेरे प्रति तुम्हारा प्यार,
क्योंकि उम्मीदें
और पूर्वानुमान
अनिश्चितता के बादलों का
हो जाते हैं शिकार।
जब जताएं बरसने की उम्मीद ,
तो पड़ती है सूखे की मार,
और जब होती है
शुष्क मौसम की भविष्यवाणी ,
तब कम्वख्त मुसलाधार।


15 comments:

  1. बिन बदरा पानी गिरे, बदरा पानी सून,
    जब तोरी आँखें नमें, बीता जाये जून।

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  2. मानसून माने नहीं, कभी चीन तूफ़ान ।

    उच्च-दाब का क्षेत्र भी, कर देता हैरान ।

    कर देता हैरान , नेह बरसाऊँ कैसे ।

    लेती मन में ठान, किन्तु मैं आऊँ कैसे ।

    बिन जंगल उद्यान, नहीं मेरा मन लागे ।

    खड़े पास शैतान, नहीं तो आऊँ आगे ।

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  3. हाय हाय ये मजबूरी ---
    सूखा सावन -- जैसे ड्राई डेज ! :)

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  4. भाई जी,
    कवि गोष्ठी मुबारक हो :-))

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  5. शुक्र है ओले/पाला नहीं पड़ता..
    :-)

    सादर
    अनु

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  6. :):) मौसम विभाग पर बढ़िया कटाक्ष ...

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  7. मेरे प्रति तुम्हारा प्यार,
    भारत के मौसम विभाग से
    ख़ास भिन्न नहीं !
    Kyaa baat hai ;)

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  8. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के  चर्चा मंच  पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  9. मुखर अभिव्यक्ति .... प्रशंसनीय है ....

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  10. बहुत सुंदर !!

    अमेरिका के मौसम विभाग
    का साफ्टवेयर डलवा लीजिये
    जब जैसा मौसम चाहे
    उनके मूड में डलवा लीजिये !!

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  11. तुम...हारे.....! ...... तुम... हारी........ !!
    और मैं हूँ कि
    न उन्हें झूठा करार पाता हूँ
    और न सच मानने को तैयार,
    क्योंकि मैं जानता हूँ कि
    मेरे प्रति तुम्हारा प्यार,
    भारत के मौसम विभाग से
    ख़ास भिन्न नहीं !... बहुत ही बढ़िया

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  12. जब बरसने की उम्मीद जताता है,
    तब पड़ती है सूखे की मार !!
    और जब करता है,
    शुष्क मौसम की भविष्यवाणी ,
    तब कम्वख्त मुसलाधार !!!

    सुंदर प्रस्‍तुति !!

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  13. उनका प्यार भी मौसम विभाग का शिकार हो गया ... भई बहुत खूब ...

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  14. तुम...हारे.....! ...... तुम... हारी........ !!
    और मैं हूँ कि
    न उन्हें झूठा करार पाता हूँ
    और न सच मानने को तैयार,
    वाह ... बेहतरीन भाव

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।