...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
बेशर्मों को शर्म कहां आई है ... सटीक निशाना ...
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteआइये-
सादर ।।
आदरणीय पाठक गण !!
किसी भी लिंक पर टिप्पणी करें ।
सम्बंधित पोस्ट पर ही उसे पेस्ट कर दिया जायेगा 11 AM पर-
वाह ..
ReplyDeleteएक नजर समग्र गत्यात्मक ज्योतिष पर भी डालें
आती है उनको शर्म
ReplyDeleteपर वो दिखाते नहीं हैं
जाती है जब उनकी
शर्म बताती नहीं हैं !!
बहुत खूब !!!
कम शरमाना भी घोटाला ही है।
ReplyDeleteये शर्म क्या होती है?
ReplyDeleteरामराम.
[co="red"]ताऊ जी , आज के परिपेक्ष में काफी जटिल सवाल आपने पूछा है ! नेट पर सर्च करता हूँ, कहीं मुकम्मल जबाब मिला तो दूंगा :)[co/]
ReplyDelete:)))
ReplyDeleteशर्म क्या चीज़ होती है...
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