Tuesday, June 25, 2013

कार्टून कुछ बोलता है- उत्तराखंड त्रासदी !
















निकले तो थे गुपचुप दर्द बांटने 
बाढ़ पीड़ितों का,  
दर्मियाँ सफर तो भेद उनका 
किसी पे उजागर न हुआ, 

 मगर खुला भी तो कब, 
जब मंजिल पे वो पूछ बैठे;  
"आखिर इस जगह हुआ क्या था ?"   

7 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुतीकरण !!

    ReplyDelete
  2. Replies
    1. बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
      आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (26-06-2013) के धरा की तड़प ..... कितना सहूँ मै .....! खुदा जाने ....!१२८८ ....! चर्चा मंच अंक-1288 पर भी होगी!
      सादर...!
      शशि पुरवार

      Delete
  3. क्या कहें? काजल जी के शब्द ही दोहरा देते हैं "ऐसा पूछने वालों को नमन"

    रामराम.

    ReplyDelete
  4. मार्मिक -
    सटीक प्रस्तुति-

    ReplyDelete
  5. भावी युवराज माफ कीजिये देश के युवराज को हक है ये पूछने का ...

    ReplyDelete
  6. ट्रेलर समझ में नहीं आता है लोगों को और पूरी पिल्‍म देखने के बाद उसका विवरण देने के लिए कोई नहीं बचेगा।

    ReplyDelete

सहज-अनुभूति!

निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना,  कि...