...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
उपजीवी !
मिली तीन-तीन गुलामियां तुमको प्रतिफल मे, और कितना भला, भले मानुष ! तलवे चाटोगे। नाचना न आता हो, न अजिरा पे उंगली उठाओ, अरे खुदगर्जों, जैसा ब...
-
नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
-
पहाड़ी प्रदेश , प्राइमरी स्कूल था दिगोली, चौंरा। गांव से करीब दो किलोमीटर दूर। अपने गांव से पहाड़ी पगडंडी पर पैदल चलते हुए जब तीसरी कक्षा क...
-
स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
सुन्दर प्रस्तुतीकरण !!
ReplyDeleteऐसा पूछने वालों को नमन
ReplyDeleteबेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
Deleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (26-06-2013) के धरा की तड़प ..... कितना सहूँ मै .....! खुदा जाने ....!१२८८ ....! चर्चा मंच अंक-1288 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
क्या कहें? काजल जी के शब्द ही दोहरा देते हैं "ऐसा पूछने वालों को नमन"
ReplyDeleteरामराम.
मार्मिक -
ReplyDeleteसटीक प्रस्तुति-
भावी युवराज माफ कीजिये देश के युवराज को हक है ये पूछने का ...
ReplyDeleteट्रेलर समझ में नहीं आता है लोगों को और पूरी पिल्म देखने के बाद उसका विवरण देने के लिए कोई नहीं बचेगा।
ReplyDelete