Thursday, January 27, 2011

जीवन पहेली !






जिन्दगी एक्सट्रीम है

उनके लिए,

जिन्होंने जीवन में

बेहिसाब पा लिया,

या फिर

अनगिनत गवां लिया।



जिन्दगी एक ड्रीम है

उनके लिए,

जीवन में जो

सिर्फ पाने की ही चाह रखते है,

कुछ गवाना नहीं चाहते।



अगर यही सवाल

कोई मुझसे पूछे तो ,

मैं तो बस यही कहूंगा कि

जिन्दगी आइसक्रीम है,

उसे तो

वक्त के सांचे में ढलना है,

कोई खाए या न खाए ,

उसे तो पिघलना है।



इसलिए जहाँ तक संभव हो

जितना खा सको

उसे खाओ, चाटो...

अंत में सिर्फ दो ही बातें होवेंगी,

संतुष्ठी , या फिर पछतावा॥


20 comments:

  1. हमें तो जिन्दगी जिन्दगी है, जितना जीते हैं, उतना खोते हैं।

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  2. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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  3. बहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... गजब का लिखा है

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  4. जनाब आज तक तक तो इस जिन्दगी को जी भर के ओर अपने मन के मुताविक जीया हे.... आगे भी ऎसा ही चले तो अच्छा रहेगा, धन्यवाद इस सुंदर विचार के लिये

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  5. बहुत सुन्दर कबिता अच्छे भावों के साथ बैचारिक, शब्दों का सटीक चयन बेहद खूब सुरती से सवारा बहुत-बहुत धन्यवाद

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  6. मैं तो बस यही कहूंगा कि
    जिन्दगी आइसक्रीम है,
    सुन्दर कबिता शब्दों का सटीक चयन..

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  7. ज़िन्दगी के बारे में बिलकुल सही कहा आपने....

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  8. वाह जी वाह क्या खूब ज़िन्दगी की परिभाषा दी है……………बेह्तरीन विश्लेषण्।

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  9. बिलकुल सही परिभाषा है ज़िन्दगी की। वर्तमान को जीओ खुश रहो यही है ज़िन्दगी। बधाई इस रचना के लिये।

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  10. जिन्दगी आइसक्रीम है,
    उसे तो वक्त के सांचे में
    हर हाल में ढलना है,

    सही !!

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  11. लाज़वाब.. जिंदगी को आइसक्रीम बना दिया...बहुत गहन चिंतन..

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  12. बहुत बेहतरीन रचना प्रस्तुति आभार सर

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  13. वाह वाह गोदियाल जी । यह फिलोस्फिकल अंदाज़ भी बढ़िया लगा ।

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  14. बहुत खूब ... जिंदगी को कितनी आसानी से बयान कर दिया ... मज़ा आ गया इस नयी परिभाषा कोपढ़ कर ...

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  15. बहुत बढ़िया ...

    जी हम तो ये कहेगे कि जिंदगी एक छलावा हैं ...

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।