जिन्दगी एक्सट्रीम है
उनके लिए,
जिन्होंने जीवन में
बेहिसाब पा लिया,
या फिर
अनगिनत गवां लिया।
जिन्दगी एक ड्रीम है
उनके लिए,
जीवन में जो
सिर्फ पाने की ही चाह रखते है,
कुछ गवाना नहीं चाहते।
अगर यही सवाल
कोई मुझसे पूछे तो ,
मैं तो बस यही कहूंगा कि
जिन्दगी आइसक्रीम है,
उसे तो
वक्त के सांचे में ढलना है,
कोई खाए या न खाए ,
उसे तो पिघलना है।
इसलिए जहाँ तक संभव हो
जितना खा सको
उसे खाओ, चाटो...
अंत में सिर्फ दो ही बातें होवेंगी,
संतुष्ठी , या फिर पछतावा॥
are waah. ek nai soch jindagi ke baare me..
ReplyDeleteहमें तो जिन्दगी जिन्दगी है, जितना जीते हैं, उतना खोते हैं।
ReplyDeleteसुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... गजब का लिखा है
ReplyDeleteजनाब आज तक तक तो इस जिन्दगी को जी भर के ओर अपने मन के मुताविक जीया हे.... आगे भी ऎसा ही चले तो अच्छा रहेगा, धन्यवाद इस सुंदर विचार के लिये
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कबिता अच्छे भावों के साथ बैचारिक, शब्दों का सटीक चयन बेहद खूब सुरती से सवारा बहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteमैं तो बस यही कहूंगा कि
ReplyDeleteजिन्दगी आइसक्रीम है,
सुन्दर कबिता शब्दों का सटीक चयन..
ज़िन्दगी के बारे में बिलकुल सही कहा आपने....
ReplyDeleteजिन्दगी यूँ ही चलते रहे।
घर घर में माटी का चूल्हा
बहुत खूब
ReplyDeleteवाह जी वाह क्या खूब ज़िन्दगी की परिभाषा दी है……………बेह्तरीन विश्लेषण्।
ReplyDeleteबिलकुल सही परिभाषा है ज़िन्दगी की। वर्तमान को जीओ खुश रहो यही है ज़िन्दगी। बधाई इस रचना के लिये।
ReplyDeleteजिन्दगी आइसक्रीम है,
ReplyDeleteउसे तो वक्त के सांचे में
हर हाल में ढलना है,
सही !!
लाज़वाब.. जिंदगी को आइसक्रीम बना दिया...बहुत गहन चिंतन..
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन रचना प्रस्तुति आभार सर
ReplyDeleteवाह वाह गोदियाल जी । यह फिलोस्फिकल अंदाज़ भी बढ़िया लगा ।
ReplyDeleteअद्भुत...
ReplyDeleteबहुत खूब ... जिंदगी को कितनी आसानी से बयान कर दिया ... मज़ा आ गया इस नयी परिभाषा कोपढ़ कर ...
ReplyDeletewah kya baat kahi hai aur itni sehezta se. sochna padega.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...
ReplyDeleteजी हम तो ये कहेगे कि जिंदगी एक छलावा हैं ...