Sunday, September 25, 2011

बेटी !


जब उमंगो  के आंचल ने ,
चाहत की पोटली समेटी,
तो आसमां से उतर कर ,
घर आई हमारे,हमारी बेटी।

याद है  हमें भी वो वक्त,
जब पल-पल बुने थे हमने,
सलाइयों से किरमिच पर कुछ 
ख्वाब रंगीन,श्वेत-सलेटी।

सब्र की मेंड क्या होती है,
तब जाना,नजर आई जब,
वह नन्ही-नवजात कोंपल,
अंगोछे-तौलिये मे लपेटी।

कम पडते शब्द बयां करने को ,
मन की वह मधुर अनुभूति,
बिछोने से टुकुर-टुकुर,
देखती थी जब  वो लेटी-लेटी।

बडी होकर खुद का घर बसाने,
घर पराये चली जायेगी ,
छोडकर यादें और चंद अपने 
बचपन के खिलोनों से भरी पेटी।।

14 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना, लगता है बिटिया का जन्मदिन है आज! शुभकामनायें!

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  2. @smart Indian: नही सर जी, मेरी बेटी की जन्म तिथि ७ जून है, यह कविता मैने आज अन्तर्राष्ट्रीय बेटी दिवस के उपलक्ष मे लिखी है !

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  3. गोदियाल भाई जी , बहुत सुंदर ! मेरी ओर से बेटी को बहुत सारा प्यार और आशीर्वाद दीजियेगा !
    "दिल ही तो है" उन दोनों गायकों में से कोई नही ....
    अभी तक तलाश में हूँ | है तो कोई ,,,जगजीत जी के शिष्यों से ही ..पर खोज नही पा रहा ..गजल मेरे पास सालों से है
    जगजीत जी की सेहत के लिए ...शुभकामनाएँ ! उनके सब चाहने वालों को ..

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  4. बडी हुई, खुद का घर बसाने,
    घर पराये चली गई वो,

    छोडकर यादें और चंद,
    बचपन के खिलोनों से भरी पेटी।।
    आँखे नम कर दीं।

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  5. @smart Indian: क्षमा चाह्ता हू सर, आपके द्वारा प्रेषित शुभकामना के लिये आपको धन्यवाद कहना भी भूल गया ! Very sorry ! आदरणीय सलूजा सहाब का भी आभार !

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  6. आप की कविता पढ़ सिहर गया हूँ, मत पूछिये क्यों?

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  7. अन्तर्राष्ट्रीय बेटी दिवस के उपलक्ष मे --बहुत सुन्दर , पितृ संवेदनाओं से परिपूर्ण रचना ।
    गोदियाल जी , आपका यह रूप देखकर आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता हुई ।

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  8. शुक्रिया, डा० सहाब, सही कह रहे है आप, वैसे ब्लोग पर आपको अमूमन इस शोर्ट टेम्पर इन्सान के रौद्र रूप के ही ज्यादा दर्शन होते है! हा-हा-हा..... !

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  9. बहुत सुन्दर , सार्थक रचना ,

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  10. बिछोने से टुकुर-टुकुर,
    देखती थी जब मुझे लेटी-लेटी।

    बडी हुई, खुद का घर बसाने,
    घर पराये चली गई वो,

    छोडकर यादें और चंद,
    बचपन के खिलोनों से भरी पेटी।।

    मन भर आया ... बहुत अच्छी रचना ..मन को छूती हुई .. इसे पढते हुए बेटी बहुत याद आई ..

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  11. अंदर तक उतर गये कविता के शब्द, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  12. वाह कितना सुन्दर लिखा है आपने, बहुत सुन्दर जवाब नहीं इस रचना का........ बहुत खूबसूरत.......गोदियाल जी

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  13. भावनात्मक बन पडा है पुत्री दिवस ॥

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  14. wahaa dil jit liyaa aapki is rachna ne bahut khub shaandar abhivakti thanks....
    समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है हम सभी की और से आपको एवं आपके सम्पूर्ण परिवार को नवरात्र की शुभकामनायें
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।