भांति-भांंति के हुरी ख्वा़ब,
मन मे लेकर इंदौर से
झूमते हुए निकले थे जो कल,
जन्नत फुल होने की वजह से,
सुना है, उन्हें खुदा के किसी
'राहत' कैंप मे ठहराया गया है,बल ।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
श्रद्धांजलि ।
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि।
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