Wednesday, August 12, 2020

अभी जाना तो नहीं चाहते थे वे इस दौर से, राहत न मिली तो जाना पडा इंदौर से।

भांति-भांंति के हुरी ख्वा़ब, 

मन मे लेकर इंदौर से 

झूमते हुए निकले थे जो कल,

जन्नत फुल होने की वजह से,

सुना है, उन्हें खुदा के  किसी

'राहत' कैंप मे ठहराया गया है,बल ।

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संशय!

इतना तो न बहक पप्पू ,  बहरे ख़फ़ीफ़ की बहर बनकर, ४ जून कहीं बरपा न दें तुझपे,  नादानियां तेरी, कहर  बनकर।