ऐ खुदा,
क्या लॉकडाउन की वजह से,
बंद हो गई है तेरी चक्की भी,
सैनेटाइजेशन की हद तो देखो,
दाम अलग किंंतु स्वाद एक जैसा
दे रही, कच्ची और पक्की भी।
अब तो हैरानगी यह देखकर और बढने लगी है कि
सोशल-डिस्टेंसिग बरत रही, मेरे गांव की मक्की भी।।😀
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
ये सच है, तुम्हारी बेरुखी हमको, मानों कुछ यूं इस कदर भा गई, सावन-भादों, ज्यूं बरसात आई, गरजी, बरसी और बदली छा गई। मैं तो कर रहा था कबसे तुम...
बढ़िया :)
ReplyDeleteआभार आपका, सर 🙏
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteवाकई लॉक डाउन ने सभी जगह अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है या हम ज्यादा सचेत हो गए हैं
ReplyDeleteदाम अलग किंंतु स्वाद एक जैसा
ReplyDeleteदे रही, कच्ची और पक्की भी।... अच्छा तंज़ है । धन्यवाद
आभार आप सब का।
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