Tuesday, April 5, 2011

दोगलापन !

मलिंगा, विश्व कप फ़ाइनल मैच से पहले और मैच के बाद;











वाह भई, शाहिद अफ्रीदी,
तेरा भी ईमान डोल गया,
यहाँ आकर झूठ बोला,
वहाँ जाके तू सच बोल गया !

देख,कितना गिरा देती है
इंसान को, नीयत डोलकर,
बीसियों झूठ बोलने पड़ते है,
फिर एक झूठ बोलकर !

मुह लगाते न तुम जैसों को,
गर हम बड़े दिलवाले होते,
न असुर मूंग दलता छाती,
न राज करते हम पर खोते !

सरे-राह मगर क्यों तू ,
अपना सड़ा मुह खोल गया,
यहाँ आकर झूठ बोला,
वहाँ जाके सच बोल गया !

चित्र  एक  मेल  से  मिला ! 

19 comments:

  1. धन है तो लुटाया जा रहा है।

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  2. गोदियाल साहब, फिर से मुंह खोल गया
    कहता है अखबारों ने गलत बोल दिया...

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  3. बहुत सटीक बात कह दी है ...

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  4. गिरगिट था रंग तो बदलना ही था....

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  5. Raat ke high voltage me main bhee pataa nahee kyaa-kyaa likh detaa hoon, mujhe bhee nahee maaloom rahtaa:) :)

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  6. sachchaai bakhan karti hui aapki kavita bhi bhi bahut kuchh bol gaya....badhiya

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  7. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (7-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  8. अफ़रीदी जी बस अपना चरित्र ही बयान कर रहें हैं ... अफ़रीदी जी ऐसी प्रतिक्रियाँ देते हुवे दिमाग़ का दिवालियापन ही दिखा रहे हैं ...

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  9. aisaa bolkar wahaan JOOTAA khaane se bach gayaa

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  10. गोदियाल साहब
    जवाब नहीं आपका बहुत खूब

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  11. मन की भडास कहीं तो निकालना था ही ना :)

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  12. ये अच्छी बात नहीं है।

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  13. सही कहा आपने गिरगिट की तरह रंग बदलता इन्सान !

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  14. देख,कितना गिरा देती है
    इंसान को, नीयत डोलकर,
    बीसियों झूठ बोलने पड़ते है,
    फिर एक झूठ बोलकर !

    SATEEK DAMDAAR ABHIVYAKTI .

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  15. बड़े लोग झूठ ही बोलते हैं. सच क्या है उन्हें क्या पता ?

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  16. बाप रे- क्या काम्बिनेशन है........

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  17. बधाई हो!
    टेटूये पर अंगूठा रख दिया आपने तो!

    खुश और स्वस्थ रहें !

    अशोक सलूजा !

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।