...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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सहज-अनुभूति!
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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आज तडके, दूर गगन में, एक अरसे के बाद, फुरसत से, सूरज अपनी महबूबा, चाँद से मिला, और कुछ पलों तक दोनों एक दूसरे को निहारते रहे, जी...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
सही निरूपण किया है..
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteसटीक पकडा.:)
ReplyDeleteरामराम.
आते ही धमाका ... इतने दिनों बाद आए ओर सटीक निशाना ...
ReplyDeleteबड़ा गेट चाहिये...
ReplyDeleteसटीक स्मारिका!
ReplyDeleteसच में..किस-किस का लिखते..किस-किस का छोड़ते...लिखकर हटते तो एक नया नाम आ जाता....जिसका नाम छोड़ देते ..वो आपसे अलग नाराज हो जाता....बढ़िया किया जो किसी का नाम नहीं लिखा..
ReplyDeleteघोटालेबाजों का नाम खुदवाने के लिए अपर्याप्त दीवार स्थल।
ReplyDeleteबहुत मजबूत गेट ..
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