...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
सबसे पहले तो बहुत दिनों के बाद दर्शन देने पर स्वागत है। गजब का जज्बा।
ReplyDeleteदारुण दिखता दृश्य यह, गायब दोनों हाथ |
ReplyDeleteपैरों पर स्याही लगे, सत्साहस है साथ |
सत्साहस है साथ, अनोखा वोटर आया |
करता चोखा काम, एक सन्देश सुनाया |
धन्य धन्य विकलांग, देह से दीखते भारु |
लेकिन हैं कुछ लोग, मांगते पहले दारू ||
इस जज्बे को हमारा भी सलाम!
ReplyDeleteप्रेरक प्रस्तुति ...
बहुत सुंदर प्रेरक चित्र और प्रस्तुति ....!
ReplyDelete==================
नई पोस्ट-: चुनाव आया...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (05-12-2013) को "जीवन के रंग" चर्चा -1452
पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रेरक ... सच मेमिन जो होते हुए भी उपयोग नहीं करते मत का ... उन्हें बात करने का भी हक नहीं है ...
ReplyDeleteस्वागत है भाई जी .....ज़ज्बे का ..ज़ज्बे को सलाम !
ReplyDeleteवाकई सलाम करने योग्य हैं.
ReplyDeleteरामराम.