...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Saturday, September 26, 2015
Thursday, September 24, 2015
फ़रियाद
रहन ग़मों से अतिभारित,
काँटों से भरी आवागम दी,
मन तुषार,आँखों में नमी ज्यादा,
सांसो में हवा कम दी,
तक़ाज़ों का टिफिन लेकर,
सिर्फ़ इतनी सी ग़िला तुझसे ,
कि ऐ ज़िन्दगी, तूने हमें,
दर्द ज्यादा और दवा कम दी।
कहीं गले ही न पड़ जाए, इस डर से कभी किसी ने भेंटा ही नहीं,
अपने बाजूओं को फैलाकर तहेदिल से किसी ने लपेटा ही नहीं,
यहां सिर्फ कांच के टुकड़ों सी बिखरकर रह गई है तू ऐ जिंदगी ,
बदकिस्मत, हाथ कटने के डर से तुझे किसी ने समेटा ही नहीं।
Thursday, September 17, 2015
Saturday, September 5, 2015
गुरु स्तुति ! (शिक्षक दिवस के अवसर पर)
अज्ञान के इन तूफानों में, हे गुरुदेव !
तुम दक्ष पाण्डित्य खेवनहार हो,
जहालत के भवसागर में तैरती,
ज्ञान और हुनर की पतवार हो।
स्वधर्म है सहभाजना बोध-विद्या,
तुम प्रतीति लहराती धार हो,
सदा शांतचित मुख भाव-भंगिमा,
हो सेज सिंधु भाटा या ज्वार हो।
रहते खुले सबके लिए सुजान पट,
तुम बुद्धि-विकास का आधार हो,
बांटने का है न कोई हद-हासिया,
हो इसपर या सात सागर पार हो।
पार पा जाती है नैया उसी की ,
पा गया जो तुम्हारा प्यार हो,
अज्ञान के इन तूफानों में, हे गुरुदेव !
तुम दक्ष पाण्डित्य खेवनहार हो।
अत: हे गुरुदेव , आप सदैव मेरे पूज्य रहोगे !
सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाए !
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वक्त की परछाइयां !
उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...

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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।