Saturday, September 5, 2015

गुरु स्तुति ! (शिक्षक दिवस के अवसर पर)










अज्ञान के इन तूफानों में, हे गुरुदेव !
तुम दक्ष पाण्डित्य खेवनहार हो,
जहालत के भवसागर में तैरती,
ज्ञान और हुनर की पतवार हो।

स्वधर्म है सहभाजना बोध-विद्या,  
तुम प्रतीति  लहराती धार हो,
सदा शांतचित मुख भाव-भंगिमा,
हो सेज सिंधु भाटा या ज्वार हो।  

रहते खुले सबके लिए सुजान पट,  
तुम बुद्धि-विकास का आधार हो, 
बांटने का है न कोई हद-हासिया,
हो इसपर या सात सागर पार हो।  

पार पा जाती है नैया उसी की ,
पा गया जो तुम्हारा प्यार हो,  
अज्ञान के इन तूफानों में, हे गुरुदेव !
तुम दक्ष पाण्डित्य खेवनहार हो।  

अत: हे गुरुदेव , आप सदैव मेरे पूज्य रहोगे !
भी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाए !

4 comments:

  1. गुरु से सार्थक अनुनय विनय ..
    शिक्षक दिवस-सह-जन्माष्टमी की बहुत-बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (06-09-2015) को "मुझे चिंता या भीख की आवश्यकता नहीं-मैं शिक्षक हूँ " (चर्चा अंक-2090) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तथा शिक्षक-दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. सुन्दर व सार्थक रचना ..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।