हिम्मत है तुझमें तो तू निकल के दिखा,
मुख से, पेट से, दांतों या फिर आंखों से,
ऐ मेरे दर्द, अब तू बच नहीं सकता, क्योंकि
मैने तुझे बांध दिया है, जिंदगी की सलाखों से।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
हिम्मत है तुझमें तो तू निकल के दिखा,
मुख से, पेट से, दांतों या फिर आंखों से,
ऐ मेरे दर्द, अब तू बच नहीं सकता, क्योंकि
मैने तुझे बांध दिया है, जिंदगी की सलाखों से।
दुआ है कि इसीतरह फूले-फले व्यवसाय तुम्हारा,
ऐ तमाम दौरा-ए-कोरोना, कफन बेचने वालों,
मगर, कुछ कतरा-ए-कफ़न अपने लिए भी सम्भाले रखना,
क्या पता, कब इसकी जरूरत, तुम्हें भी आन पडे।
हिन्दुस्तान हमारा विकास की राह पर है, बस, अब आप अपनी गुजर-बसर देखना, मैंने भी आप सबके लिए दुआएं मांगी हैं, अब, तुम मेरी दुआओं का असर देखना...