हिम्मत है तुझमें तो तू निकल के दिखा,
मुख से, पेट से, दांतों या फिर आंखों से,
ऐ मेरे दर्द, अब तू बच नहीं सकता, क्योंकि
मैने तुझे बांध दिया है, जिंदगी की सलाखों से।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
थोडी सी बेरुखी से हमसे जो उन्होंने पूछा था कि वफा क्या है, हंसकर हमने भी कह दिया कि मुक्तसर सी जिंदगी मे रखा क्या है!!
सुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteआदरणीय विकास जी, उत्कृष्ट अभिव्यक्ति! साधुवाद!--ब्रजेन्द्रनाथ
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