Monday, October 26, 2020

चुनौती..

हिम्मत है तुझमें तो तू निकल के दिखा, 

मुख से, पेट से, दांतों या फिर आंखों से,

ऐ मेरे दर्द, अब तू बच नहीं सकता, क्योंकि

मैने तुझे बांध दिया है, जिंदगी की सलाखों से।

2 comments:

  1. आदरणीय विकास जी, उत्कृष्ट अभिव्यक्ति! साधुवाद!--ब्रजेन्द्रनाथ

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व्यथा

  तुझको नम न मिला और तू खिली नहीं, ऐ जिन्दगी ! मुझसे रूबरू होकर भी तू मिली नहीं।