दुआ है कि इसीतरह फूले-फले व्यवसाय तुम्हारा,
ऐ तमाम दौरा-ए-कोरोना, कफन बेचने वालों,
मगर, कुछ कतरा-ए-कफ़न अपने लिए भी सम्भाले रखना,
क्या पता, कब इसकी जरूरत, तुम्हें भी आन पडे।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
जीवन रहन गमों से अभिभारित, कुदरत ने विघ्न भरी आवागम दी, मन तुषार, आंखों में नमी ज्यादा, किंतु बोझिल सांसों में हवा कम दी, तकाजों का टिफिन पक...
वाह
ReplyDeleteबहुत सही
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