...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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ना ही अभिमान करती, ना स्व:गुणगान गाती, ना ही कोई घोटाला करती, न हराम का खाती, स्वाभिमानी है, खुदगर्ज है, खुल्ले में न नहाती, इसीलिए हमारी भै...
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (30-03-2022) को चर्चा मंच "कटुक वचन मत बोलना" (चर्चा अंक-4385) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह! महाराज जी! सच जिंदगी चलने के नाम ही है, रुक गए तो फिर किसी के क्या अपने भी नहीं नहीं
ReplyDeleteअद्भुत ज्ञान जिंदगी भी घिसती सी चरण पादुका।
ReplyDeleteश्र्लाघ्य प्रस्तुति।
आभार, आपका🙏
ReplyDeleteसटीक। जब तक है चलते रहिए। न जाने कब घिस जाए।
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