Sunday, August 31, 2025

प्रलय जारी










चहुॅं ओर काली स्याह रात,

मेघ गर्जना, झमाझम बरसात,

जीने को मजबूर हैं इन्सान,

पहाड़ों पर पहाड़ सी जिंदगी,

फटते बादल, डरावना मंजर,

कलयुग का यह जल प्रपात।



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फटने को तत्पर, प्रकृति के मंजर।

अभी तक मैं इसी मुगालते में जी रहा था सांसों को पिरोकर जिंदगी मे सीं रहा था, जो हो रहा पहाड़ो पर, इंद्रदेव का तांडव है, सुरा को यूं ही सोमरस ...