बडी शिद्दत से उछाला था हमने
दिल अपना उनके घर की तरफ,
लगा,जाहिर कर देंगे वो अपनी मर्जी,तड़पकर उछले हुए दिल पर हमारे।
रात भर ताकते रहे यही सोचकर,
सिरहाने रखे हुए सेलफोन को,
सहमे से सुर,फोन करेंगे और कहेंगे,
कुछ गिरा तो है दिल पर हमारे।
मुद्दत गुज़र गई, दिल को न सुकूं आया,
दीवानगी का वो सफर 'मुकाम-ए-परचेत',
कारवां जिगर का भटका वहीं पर कहीं जहां,
लगी 'तंगदिल' की मुहर नरमदिल पर हमारे।