Thursday, September 25, 2025

गिला

जीवन रहन गमों से अभिभारित,

कुदरत ने विघ्न भरी आवागम दी,

मन तुषार, आंखों में नमी ज्यादा,

किंतु बोझिल सांसों में हवा कम दी,

तकाजों का टिफिन पकड़ाकर भी,

हमें रह गई बस  गिला इतनी तुमसे,

ऐ जिन्दगी, तूने दर्द ज्यादा दवा कम दी।

2 comments:

मलाल

 इस मोड़ पर न जाने क्यों, ऐ जिन्दगी,  तेरे-मेरे बीच कुछ ऐंसी ठन गई, जो भी थी अच्छाइयां मेरी, सबके सब मेरी बुराइयां बन गई, दगा किस्मत ने दिया...