Wednesday, September 24, 2025

पिता !

समझ पाओ तो

यूं समझिए कि

तुम्हारा आई कार्ड,

 निष्कृयता नाजुक, 

 और निष्पादन  हार्ड।

( यह चार लाइनें पितृपक्ष के दरमियां लिखी थी पोस्ट करना भूल गया,,,,,बस यही तो है कलयुगी बेटों का कमाल)


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मौन-सून!

ये सच है, तुम्हारी बेरुखी हमको, मानों कुछ यूं इस कदर भा गई, सावन-भादों, ज्यूं बरसात आई,  गरजी, बरसी और बदली छा गई। मैं तो कर रहा था कबसे तुम...