Thursday, November 27, 2025

हद पार

बस भी करो अब ये सितम,

हम और न सह पाएंगे,

बदकिस्मती पे अपनी, 

बल खाए न रह पाएंगे।

किस-किस को बताएं अब,

अपनी इस जुदाई का सबब,

क्या मालूम था,फैसले तुम्हारे,

हमें इस कदर तड़पाएंगे।।

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व्यथा

  तुझको नम न मिला और तू खिली नहीं, ऐ जिन्दगी ! मुझसे रूबरू होकर भी तू मिली नहीं।