कोई दयार-ए-दिल की रात मे,
चराग सा जला गया,
जो रहता था कभी वहां,
सुना है, अब वो शहर चला गया।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
कोई दयार-ए-दिल की रात मे, चराग सा जला गया, जो रहता था कभी वहां, सुना है, अब वो शहर चला गया।
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