इस मोड़ पर न जाने क्यों, ऐ जिन्दगी,
तेरे-मेरे बीच कुछ ऐंसी ठन गई,
जो भी थी अच्छाइयां मेरी,
सबके सब मेरी बुराइयां बन गई,
दगा किस्मत ने दिया दोष तेरा नहीं,
मुखबिर मेरी ही परछाइयां बन गई।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
इस मोड़ पर न जाने क्यों, ऐ जिन्दगी, तेरे-मेरे बीच कुछ ऐंसी ठन गई, जो भी थी अच्छाइयां मेरी, सबके सब मेरी बुराइयां बन गई, दगा किस्मत ने दिया...
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