कोई दयार-ए-दिल की रात मे
वहां चराग सा जला गया,
जो रहता था कभी उधर,
सुना है, अब वो शहर चला गया।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
सुन, प्यार क्या है, तेरी समझ में न आए तो, अपने ही प्यारेलाल को काट खा, किंतु, ऐ धोबी के कुत्ते! औकात में रहना, ऐसा न हो, न तू घर का रहे, न घ...
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