Friday, December 5, 2025

मौसम जाड़े का..

कह न पाऊंगा कोई कहानी रस भरी,

जुबां पे इक दास्तां है, वो भी दर्द भरी,

हमारे वयां करने को अब बचा ही क्या?

जाड़े का मौसम है , दिसम्बर-जनवरी।


चलो, आज कर दूं इश्क में, तुम्हारे नाम,

गली- मैदां, बर्फ से ढकी इक और शाम।

ठिठुरती देह है प्रभु, हाथ दोनों जाम हैं,

ठंड भगाने में "बूढ़े साधू" का अनोखा काम है।








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मौसम जाड़े का..

कह न पाऊंगा कोई कहानी रस भरी, जुबां पे इक दास्तां है, वो भी दर्द भरी, हमारे वयां करने को अब बचा ही क्या? जाड़े का मौसम है , दिसम्बर-जनवरी। च...