THURSDAY, MARCH 26, 2015
अग्नि-पथ !
लुंठक-बटमारों के हाथ में, आज सारा देश है,
गणतंत्र बेशक बन गया, स्वतंत्र होना शेष है !
सरगना साधू बना है, प्रकट धवल देह-भेष है,
गणतंत्र बेशक बन गया, स्वतंत्र होना शेष है!!
भ्रष्ट-कुटिल कृत्य से, न्यायपालिका मैली हुई,
हर गाँव-देश दरिद्रता व भुखमरी फैली हुई !
अविद्या व अस्मिता, अभिनिवेश, राग, द्वेष है,
गणतंत्र बेशक बन गया, स्वतंत्र होना शेष है!!
राज और समाज-व्यवस्था दासता से ग्रस्त है,
जन-सेवक जागीरदार बना,आम-जन त्रस्त है !
प्रत्यक्ष न सही परोक्ष ही,फिरंगी औपनिवेश है,
गणतंत्र बेशक बन गया, स्वतंत्र होना शेष है!!
शिक्षित समझता श्रेष्ठतर है,विलायती बोलकर,
बहु-राष्ट्रीय कम्पनियां नीर भी, बेचती तोलकर,
देश-संस्कृति दूषित कर रहा,पश्चमी परिवेश है,
गणतंत्र बेशक बन गया, स्वतंत्र होना शेष है!!
गणतंत्र बेशक बन गया, स्वतंत्र होना शेष है !
सरगना साधू बना है, प्रकट धवल देह-भेष है,
गणतंत्र बेशक बन गया, स्वतंत्र होना शेष है!!
भ्रष्ट-कुटिल कृत्य से, न्यायपालिका मैली हुई,
हर गाँव-देश दरिद्रता व भुखमरी फैली हुई !
अविद्या व अस्मिता, अभिनिवेश, राग, द्वेष है,
गणतंत्र बेशक बन गया, स्वतंत्र होना शेष है!!
राज और समाज-व्यवस्था दासता से ग्रस्त है,
जन-सेवक जागीरदार बना,आम-जन त्रस्त है !
प्रत्यक्ष न सही परोक्ष ही,फिरंगी औपनिवेश है,
गणतंत्र बेशक बन गया, स्वतंत्र होना शेष है!!
शिक्षित समझता श्रेष्ठतर है,विलायती बोलकर,
बहु-राष्ट्रीय कम्पनियां नीर भी, बेचती तोलकर,
देश-संस्कृति दूषित कर रहा,पश्चमी परिवेश है,
गणतंत्र बेशक बन गया, स्वतंत्र होना शेष है!!
२०१४ में बाबा से उम्मीद है...
ReplyDelete@ भारतीय नागरिक - Indian Citizenजी, काश !
ReplyDeleteआदरणीय गोदियाल जी
ReplyDeleteनमस्कार !
कटाक्ष करती प्रशंसनीय रचना - बधाई
काश! काश!! काश!!!
ReplyDeleteप्रणाम
रामराम.
कडवा सच्।
ReplyDeleteया खुदा ! बद-इन्तजामियों का यह सूरज कब तक ढलेगा ?
ReplyDeleteतू ही बता, अपना देश और कितना भगवान् भरोसे चलेगा
kathhin prashn , uttar ki tlash hai
भगवान भरोसे देश चल रहा है पर धर्म निरपेक्षता अपनाते हैं।
ReplyDeleteअभी तो भगवान भरोसे ही चला जा रहा है..कोई मत छेड़ो!!
ReplyDeleteसच है ..भगवान का ही आसरा है ...
ReplyDeleteउम्मीद पर दुनिया कायम है ।
ReplyDeleteभगवान भी गोदियाल जी लगता है सो रहे हैं,लम्बी तान कर... हाँ देवोत्थान के बाद बिहार में कुछ भरोसा दिलाया है उन्होंने...लगता है नींद टूट गई है!!
ReplyDelete.
ReplyDeleteबद-इन्तजामियों का यह सूरज कब तक ढलेगा ?
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समय-समय पर लोग अवतरित होते ही रहते हैं , नैय्या पार लगाने के लिए।
शायद भगवान् कुछ इन्तेजाम करें।
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सटीक कटाक्ष ..... सच को समेटे
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति !
ReplyDeleteव्यवस्था और भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करती हुई बेहतरीन अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteबहुत ही सही ।
ReplyDeleteया खुदा ! बद-इन्तजामियों का यह सूरज कब तक ढलेगा ?
ReplyDeleteतू ही बता, अपना देश और कितना भगवान् भरोसे चलेगा ..
ये तो shaayad bhagwaan भी नहीं jaanta hoga ... vo भी ये geet gata higa ... kya से kya ho gaya ...
या खुदा ! बद-इन्तजामियों का यह सूरज कब तक ढलेगा ?
ReplyDeleteतू ही बता, अपना देश और कितना भगवान् भरोसे चलेगा ?
जब आम जनता अपना उत्तरदायित्व समझ जायेगी ..
सुन्दर रचना !