ये बताओ,
तुम्हारे
उस बहुप्रितिक्षित
कुम्भ आयोजन का
क्या हुआ,
जो तुम्हारे
हुश्न, मुहब्बत
और वफ़ा की त्रिवेणी पर
अर्से से प्रस्तावित था ?
मैं तो कबसे
अपने मन को
इस बात के लिए
प्रेरित किये था कि
इस बार मैं भी
संगम पर डुबकी लगा ,
जिगर के कुछ दाग
धो ही डालूँगा !
अब तो यही सोचकर
संयम पैरों तले से
फिसलता नहीं
कि प्रतीक्षा करवाना
तुम्हारी पुरानी आदत है !!
तुम्हारे
उस बहुप्रितिक्षित
कुम्भ आयोजन का
क्या हुआ,
जो तुम्हारे
हुश्न, मुहब्बत
और वफ़ा की त्रिवेणी पर
अर्से से प्रस्तावित था ?
मैं तो कबसे
अपने मन को
इस बात के लिए
प्रेरित किये था कि
इस बार मैं भी
संगम पर डुबकी लगा ,
जिगर के कुछ दाग
धो ही डालूँगा !
अब तो यही सोचकर
संयम पैरों तले से
फिसलता नहीं
कि प्रतीक्षा करवाना
तुम्हारी पुरानी आदत है !!
बहुत ही सुन्दर अहसास कराती हुई कबिता, समय आने पर संगम पर जरुर पहुचेगे इंतजार बहुत मीठा होता है.
ReplyDeleteइंतजार का अपना मज़ा है ।
ReplyDeleteहुश्न, मुहब्बत
और वफ़ा की त्रिवेणी--
सुन्दर अलफ़ाज़ .
आदरणीय गोदियाल जी
ReplyDeleteनमस्कार !
अब तो यही सोचकर
संयम पैरोंतले से
फिसलता नहीं
कि प्रतीक्षा करवाना
तुम्हारी पुरानी आदत है !!
AADATE SUDHAR LE SIR JI........
हर बार की तरह शानदार प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह ..बहुत सुन्दर ..
ReplyDelete.अब तो यही सोचकर
संयम पैरोंतले से
फिसलता नहीं
कि प्रतीक्षा करवाना
तुम्हारी पुरानी आदत है !
अब आदत से परिचित ही हैं तो इंतज़ार कर ही लीजिए ...
मैं तो कबसे
ReplyDeleteअपने मन को
इस बात के लिए
प्रेरित किये था कि
इस बार मैं भी
संगम पर,
जिगर के कुछ दाग
धो ही डालूँगा ...
गोदियाल जी ... आज तो बिलकुल alag hat कर ... mousam का asar hone laga है ... बहुत लाजवाब ehsas है ...
उस त्रिवेणी के लिये कुम्भ जैसे आयोजन की क्या आवश्यकता, वह तो वैसे ही सतत प्रवाहमान रहे।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और मुग्ध कर देने वाली रचना.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत ही सुंदर और मुग्ध कर देने वाली रचना.
ReplyDeleteरामराम.
अब तो यही सोचकर
ReplyDeleteसंयम पैरोंतले से
फिसलता नहीं
कि प्रतीक्षा करवाना
तुम्हारी पुरानी आदत है !!
वाह! गज़ब कर दिया …………मंत्रमुग्ध कर दिया।
जो मज़ा इन्तेज़ार में है वो मिलन में कहां... तो, करते रहिए इन्तेज़ार:)
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ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
हुस्न, मोहब्बत और वफा की त्रिवेणी पर कुंभ मेले का आयोजन. शानदार सामंजस्य.
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट 'भ्रष्टाचार पर सशक्त प्रहार' पर आपके सार्थक विचारों की प्रतिक्षा है...
www.najariya.blogspot.com
हुश्न, मुहब्बत और वफ़ा की त्रिवेणी पर....जिगर के दाग ......??
ReplyDeleteओये होए क्या बात है ....!!
बहुत खूब...
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