Saturday, December 11, 2010

नवगीत- हम भारत वाले! (रिमिक्स)

साल २०११ चंद हफ्तों बाद हमारी देहरी पर होगा अत: आप सभी से यह अनुरोध करूंगा कि देश के वर्तमान हालात के अनुरूप इस रिमिक्स को खूब गुनगुनाये नए साल पर;

करलो जितनी जांचे,
आयोग जितने बिठाले,
नए साल में फिर से करेंगे,
मिलकर नए घोटाले !
हम भारत वाले, हम भारत वाले !!

आज पुराने हथकंडों को छोड़ चुके है,
क्या देखे उस लॉकर को जो तोड़ चुके है,
हर कोई है जब लूट रहा देश-खजाना,
बड़े ठगों से हम भी नाता जोड़ चुके हैं,
सुथरे घर, उजली पोशाके, कारनामे काले !
हम भारत वाले, हम भारत वाले !!

अभी लूटने है हमको तो कई और खजाने,
भ्रष्टाचार के दरिया है अभी और बहाने,
अभी तो हमको है समूचा देश लुटाना,
देश की दौलत से रोज नए खेल रचाने,
आओ मेहनतकश पर मोटा टैक्स लगाए,
नेक दिलों को भी खुद जैसा बेईमान बनाए,
पड़ जाए जो फिर सच,ईमानदारी के लाले !
हम भारत वाले, हम भारत वाले !!

करलो जितनी जांचे,
आयोग जितने बिठाले,
नए साल में फिर से करेंगे,
मिलकर नए घोटाले !
हम भारत वाले, हम भारत वाले !!


जय हिंद !

29 comments:

  1. बहुत ही शानदार...

    इसे... क्यूँ न कम्पोज़ करा कर लौंच किया जाए....?

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  2. बहुत सुन्दर
    @ मह्फूज
    लाँच तो हो ही गया

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  3. बेजोड पेरोडी, वाह...

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  4. बहुत मजा आया गाकर पढ़ने में..

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  5. बहुत बढ़िया रिमिक्स है!
    मगर हम लोग बहुत मोटी चमड़ी वाले हैं!
    छोटी-मोटी सूई तो असर ही नहीं करेंगी!

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  6. आप सभी का आभार ! मह्फ़ूज जी, आप अथवा अन्य कोइ भी पाठक अगर वाकई इसे हास्य-परिहास के लिये कम्पोज कर लौंच करना चाहिये तो बेरोक-टोक इसका स्वागत करुंगा !

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  7. गोदियाल जी इसे तो गाकर लगाना चाहिये था……………वैसे आज के हालात पर करारा प्रहार है…………आज तो ये गाना हर जगह बजना चाहिये ताकि ऐसे लोगो पर कुछ असर हो जाये और शर्म से चुल्लू भर पानी मे डूब मरें।

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  8. हम तो नहीं सुधरेंगे।

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  9. बहुत बढ़िया
    बहुत बढ़िया
    बहुत बहुत .........बढ़िया

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  10. इसे गा कर ईमान दार मनमोहन जी कॊ सुनाना चाहिये, बहुत सुंदर, वेसे भारत जल्द ही मेडल लेने वाला हे इस घटोलो ओर बेईमानी मे, तब हम होंगे दुनिया के ना० वन घटोले बाज.
    धन्यवाद

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  11. बहुत सुंदर ,सच्ची और सटीक पैरोडी ।

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  12. हा हा हा ! गोदियाल जी बढ़िया दिलचस्प पैरोडी है ।
    हालाँकि ऐसा ही होने वाला है , ये हम सब जानते हैं ।
    फिर भी दिल में एक नई आस रखने में क्या बुराई है ।

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  13. करलो जितनी जांचे,
    आयोग जितने बिठाले,
    नए साल में फिर से करेंगे,
    मिलकर नए घोटाले !
    हम भारत वाले, हम भारत वाले !!


    हम तो सोच रहे हैं अभी इस साल में भी २० दिन बाकी हैं, नये साल के पहले एक दो घोटाले तो इस साल में भी किये जा सकते हैं, नये में तो करना ही है.

    रामराम.

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  14. सुन्दर रीमिक्स मनाया है

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  15. "साथी हाथ बढ़ाना "नया दौर की तर्ज़ पर आज की व्यवस्था पर आपका सटीक और करार व्यंग्य ह्रदय स्पर्शी है.काश लोग इसे पढ़ कर सुधर जाएँ .

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  16. ‘इमानदारी के लाले !
    हम भारत वाले, ...

    जो जी में आये करले :)

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  17. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - देखें - 'मूर्ख' को भारत सरकार सम्मानित करेगी - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

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  18. करारा तमाचा मारा है आपने . लेकिन हम नहीं सुधरेंगे .

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  19. करलो जितनी जांचे,
    आयोग जितने बिठाले,
    नए साल में फिर से करेंगे,
    मिलकर नए घोटाले !
    हम भारत वाले, हम भारत वाले !!

    जय हिंद !
    ...nit naye ghootale, bhrastachar mein dubi hamari vyawastha ke khilaf ek aam bhartiya ke dil se upji aah....

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  20. करलो जितनी जांचे,
    आयोग जितने बिठाले,
    नए साल में फिर से करेंगे,
    मिलकर नए घोटाले !
    हम भारत वाले, हम भारत वाले !!

    जय हिंद !
    ...nit naye ghootale, bhrastachar mein dubi hamari vyawastha ke khilaf ek aam bhartiya ke dil se upji aah....

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  21. आप ते अपने मिजाज के लगते हैं। अच्छा लगा पढ़कर। एक आम बनारसी कहेगा...
    काहे हौवा हक्का बक्का
    छाना राजा भांग मुनक्का
    भ्रस्टाचार में देश धंसल हौ
    देखा तेंदुकर कs छक्का।

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  22. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 14 -12 -2010
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..


    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  23. बहुत ही शानदार, रि-मिक्स ..

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  24. इस गीत को इस लय में गाया मैंने ... और सच में बहुत मज़ा आया गौदियाल जी ... गज़ब लिखा है ...

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  25. लाज़वाब...समाज के कलुष रूप का बहुत ही सुन्दर चित्रण...

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  26. अच्छा संकल्प है ... जय हो.... सुंदर प्रस्तुति .

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।