Thursday, May 28, 2020

उम्मीद।


हौंसला बनाए रख, ऐ जिंदगी, 
'कोरोना' की अवश्य हार होगी,
सूखे दरिया, फिर बुलंदियां चूमेंगे 
और तू, फिर से गुलजार होगी।

कौन जानता था कि किसी रोज
रुग्णों की हरतरफ कतार होगी,
स्व:जनों के बीच मे रहकर भी,
मिल-जुल पाने से लाचार होगी।

कभी सोचा न था कि जीवन नैया,
डगमगाती यूं बंदी के मझधार होगी,
मगर हौंसला बना के रख,ऐ जिंदगी, 
दिन आएगा,जब कोरोना की हार होगी।।




6 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(३०-०५-२०२०) को 'आँचल की खुशबू' (चर्चा अंक-३७१७) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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  2. बहुत सही।
    आशा का संचार करती सुन्दर प्रस्तुति।

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  3. कोरोना काल में उम्मीद की किरण दिखाती कविता।

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  4. उम्मीद है तो दुनिया है नहीं तो सबकुछ बेकार

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।